1. शहरी क्षेत्र से लेकर ग्रामीण क्षेत्र तक संस्कृत, प्राकृत तथा पालि के अध्ययन-अध्यापन के लिए संस्था की स्थापना करना।
2. शहरी क्षेत्र से लेकर ग्रामीण क्षेत्र तक संस्कृत प्राकृत तथा पालि के अध्ययन-अध्यापन के लिए स्थापित संस्था को सम्बन्धन प्रदान करना।
3. शास्त्रों के सूक्ष्म तथा गहन अध्ययन-अध्यापन की व्यवस्था के साथ ही गुणवत्तापूर्ण शोध-कार्य सुनिश्चित करना।
4. संस्कृत, प्राकृत तथा पालि के उत्कृष्ट विशेषज्ञ विद्वानों को तैयार करना।
5. इन भाषाओं के प्रसिद्ध प्राचीन और नवीन ग्रन्थों की कम्प्यूटराईज्ड सूची का निर्माण करना।
6. इन भाषाओं के प्रसिद्ध प्राचीन और नवीन ग्रन्थों को पारम्परिक पुस्तक के रूप में और e-book के रूप में प्रकाशित करना।
7. प्रसिद्ध विद्वानों के द्वारा प्रस्तुत सस्वर वेदपाठ और विशिष्ट व्याख्यानों को AudioVideo के रूप में संगृहीत करना और उन्हें विश्वविद्यालय के Website के माध्यम से जिज्ञासुओं तक सम्प्रेषित करना।
8. संस्कृत, प्राकृत तथा पालि में उपलब्ध ज्ञान-विज्ञान से सम्बन्धित सामग्री का संकलन करना और उन सामग्रियों का आधुनिक ज्ञान-विज्ञान की दृष्टि से विश्लेषण करना और वर्तमान युग के रूप में उन्हें प्रस्तुत करना।
9. संस्कृत, प्राकृत तथा पालि का अध्ययन करने वाले छात्रों एवं छात्राओं के लिए छात्रवृत्ति की व्यवस्था करना और उन्हें आज की अपेक्षा के अनुसार अच्छी से अच्छी सरकारी या गैर-सरकारी सेवा में अवसर प्राप्त करने हेतु सुयोग्य बनाना।
10. वेद, वेदांग, उपनिषद्, रामायण, महाभारत, पुराण, काव्य, महाकाव्य आदि ग्रन्थों में जनसामान्य के लिए उपलब्ध ज्ञान-विज्ञान, अध्यात्म, कथा आदि से सम्बन्धित सामग्रियों को लघु ग्रन्थों के रूप में प्रकाशन करना और उसका प्रचार-प्रसार करना।
11. देश और विदेश में स्थित संस्कृत, प्राकृत तथा पालि की संस्थाओं के साथ समन्वय स्थापित करना और एक-दूसरे के शिक्षकों तथा छात्रों के माध्यम से शिक्षा के क्षेत्र में प्राप्त नवीन उपलब्धि का आदान-प्रदान करना।